Saturday, 16 April 2016

Hanuman Jayanti 2016 Fair In Salasar Temple

Hanuman Jayanti 2016 Fair In Salasar Temple

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हनुमान जयंती पर सालासर में 22 अप्रेल को लगेगा मेला, इन चीजों पर रहेगा प्रतिबंध

सालासर। सालासर मेले में पिछली बार की तरह इस बार भी पेट के बल आने वाले श्रद्धालुओं पर रोक रहेगी। प्लास्टिक थैलियों का उपयोग नहीं किया जाएगा। सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रहेगी। 
श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए 400 पुलिसकर्मी व 50 यातायात पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। जिला कलक्टर ललित कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में मंगलवार शाम हनुमान सेवा समिति सभागार में चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयंती (22 अप्रेल) पर लगने वाले लक्खी मेले की तैयारियों को लेकर आयोजित बैठक को यह जानकारी दी गई। 
जिला कलक्टर ने बिजली, पानी, सड़क व कानून व्यवस्था के संबंध में संबंधित विभाग के उच्चाधिकारियों को निर्देश दिए। बैठक में पुलिस व प्रशासन सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी व हनुमान सेवा समिति के पदाधिकारी आदि मौजूद थे।
नहीं बजेगा डीजे
मेले में मंदिर परिसर से एक किलोमीटर दूर तक डीजे साउंड, लाउड स्पीकर व सभी प्रकार के साउंड बजाने पर भी पाबंदी रहेगी। कोई दुकानदार इसका उपयोग करता है उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी।

Salsar balaji/Hanuman Temple Story:पढ़िए सालासर बालाजी की कथा

राजस्थान के विभिन्न गांव-शहरों में भगवान के अनेक प्राचीन मंदिर हैं। इन्हीं प्राचीन और चमत्कारी मंदिराें में से एक है - सालासर बालाजी मंदिर। चूरू जिले में स्थित हनुमानजी के इस मंदिर में देश-विदेश से अनेक श्रद्धालु आते हैं। खासतौर से शेखावाटी क्षेत्र में कोई भी धार्मिक व शुभ काम सालासर बालाजी के पूजन-वंदन के बिना अधूरा माना जाता है।
इस मंदिर से बालाजी के अनेक चमत्कार जुड़े हुए हैं। यहां बालाजी के प्रकट होने की कथा भी बहुत रोचक है। इस क्षेत्र के एक प्रसिद्ध संत थे - मोहनदास। उन्हें हनुमानजी ने वचन दिया था कि वे यहां शीघ्र ही प्रकट होंगे।
हनुमानजी ने अपना वायदा पूरा किया और 1811 में वे नागौर जिले के आसोटा गांव में प्रकट हुए। उस समय एक किसान खेत में हल चला रहा था। अचानक उसके हल की नोंक किसी चीज से टकराई। उसने तुरंत जमीन से वह चीज निकाली।
देखा, एक पत्थर था। उसे साफ करने पर उसमें से हनुमानजी की आकृति स्पष्ट रूप से नजर आने लगी। उसने अपनी पत्नी को इस बारे में बताया। किसान ने बालाजी को चूरमे का भोग लगाया। चूरमा शेखावाटी क्षेत्र का खास पकवान है।
जिस दिन मूर्ति प्रकट हुई, बालाजी ने आसोटा के ठाकुर को स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि मेरी प्रतिमा सालासर ले जाओ। उधर उन्होंने मोहनदासजी को कहा कि जिस बैलगाड़ी से मूर्ति सालासर आए, गांव में प्रवेश करने के बाद उसे कोई न चलाए। जहां बैल रुक जाएंगे, वहीं मूर्ति की स्थापना होनी चाहिए।
बालाजी के इस आदेश का पालन किया गया और जिस स्थान पर बैल रुके, वहां उनकी स्थापना की गई। सालासर बालाजी का चेहरा दाढ़ी-मूंछ युक्त है। हनुमानजी की ऐसी प्राचीन प्रतिमा प्रायः दुर्लभ ही है।
सालासर दरबार सांप्रदायिक सौहार्द का भी प्रतीक है। जब बालाजी के मंदिर का निर्माण हो रहा था तो इसमें मुस्लिम कारीगरों ने भी अहम भागीदारी निभाई। कारीगर नूर मुहम्मद और दाऊ का नाम तो यहां के लोगों को आज तक याद है।
बाबा मोहनदासजी ने जो धूणी उस समय जलाई थी उसकी पवित्र अग्नि आज तक जल रही है। यहां बालाजी के मुख्य मंदिर से कुछ ही दूरी पर मां अंजनी का मंदिर भी स्थित है। कहा जाता है कि स्वयं बालाजी ने मां से यहां आने के लिए प्रार्थना की थी।
मां अंजनी परिवार में सुख-शांति और प्रेम का आशीर्वाद देने वाली देवी हैं। नवविवाहित दंपत्ति उनके दर्शन करने जरूर जाते हैं। मान्यता है कि इससे उनके घर में उत्तम संतान का जन्म होता है। बालाजी के मंदिर में शनिवार, मंगलवार, हनुमान जयंती, राम नवमी जैसे पर्वों पर काफी भीड़ होती है।

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